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				Lokmat samachar 5 Dec 2000
                
                वैदिक चिकित्सा और वास्तु शास्त्र प्राचीन पद्धति महाशब्दे 
	सौंसरा, ४ दिसंबर| विगत दिवस देश में जाने माने वास्तुशास्त्रज्ञ एवं     आर्किटेक्ट इंजीनियर संजय महाशब्दे रेमण्ड प्रबंधन के विशेष आमंत्रण पर     आकोला से विजय ग्राम आवासीय परिवार में पधारे| सौसर से लगभग २० कि. मी.     दूरी पर स्थित अंतर्राष्टी्रय स्तर की रेमंड वूलन फैकट्री प्रबंधन के विशेष     आमंत्रण पर संजय महाशब्दे ने दैनिक जीवन में वैदिक चिकित्सा उर्जा   पद्धति   एव् वास्तुशास्त्र के महत्व पर अपना सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत   किया|    कार्यक्रम के प्रारंभ में के.एन्. पाठक, संजय महाशब्दे के बारे   में   श्रोताओं को परिचित कराया एवं वैदिक संस्कार के माध्यम से   महाशब्देद्वारा   तैयार किए गए उपकरणों की जानकारी दी| महाशब्देद्वारा १९८७   - ८८ में   विश्वेश्वरैया रीजनल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग नागपुर से   आर्किटेक्ट की   स्तानक उपाधि प्राप्त की|    फायनल वर्ष में उनके   प्रोजेक्ट का विषय स्टडी एंड रिस्टो रेशन ऑफ फोर्ट   रायगढ़ था| रायगढ़   किले की उस सभाकक्ष का सूक्ष्म अध्ययन करने के उपरांत जो   लगभग २१० फीट   लंबा है एवं जिसके स्टेज से सामान्य आवाज में कही गई बातें   बिना किसी   ध्वनी विस्तारक यंत्र के उपयोग के कक्ष में दूर तक बैठे व्यक्ति   को आसानी   से सुनाई पडती है, इसी प्रकार कक्ष में उपस्थित व्यक्तियों के   फुसफुसाहट   के शब्द भी स्टेज पर बैठे व्यक्ति को स्पष्ट सुनई देते है इस   कक्ष की   प्राचिन एवं उन्नत भारतीय तकनीक जो वास्तुशास्त्र पर आधरित है का   गूढ़   रहस्य समझ में आने के उपरांत महाशब्दे के जीवन में एक विशेष मोड आया     उन्हे हमारी प्राचिन विज्ञान को पुनर्जीवित करने के लिये  प्रेरित किया|      २७ नवंबर की शाम रेमंड आवासयि कॉलनी विजय ग्राम के क्लब हाऊस में दर्शक /     श्रोताओं ने मंत्रमुग्ध होकर आर्किटेक्ट महाशब्दे का व्याख्यान सुना|     उन्होने कहा कि प्रत्येक प्राणी मात्र का स्वास्थ वातावरण की शुद्धता पर     निर्भर है| उत्तम स्वस्थ के बिना व्यक्ति जीवनसे संबंध क्रियालापों का     उपभोग करने में असमर्थ है| स्वास्थ से तात्पर्य पूर्णत्व से है|    प्राचीन   काल में प्रत्येक व्यक्ति प्राण इस संकल्पना से पूर्णतः परिचित था|     विश्व के सजीव प्राणी मात्र में विद्यमान चेतना ही प्राण है| विश्व की     समस्त प्राचीन सांस्कृतीयों में इस सर्वव्यापी चेतना का उल्लेख परिलक्षीत     होता है जो मनुष्य एवं वातावरण में समान रूप से विद्यमान है|  रशियन   विशेषज्ञों ने इस शक्ति को बायोप्लाज्मिक एनर्जी कहा वही बॅरनव्हॉन     रिचेन्बॅचद्वारा इसे ओडिक फोर्स कहा गया| चेक विशेषज्ञ इस शक्ति को     साइकोट्रोनिक एनर्जी कहते है| अमेरिका के डॉ. विल्हेम रिच ने इस शक्ति को     ओगॉन एनर्जी यह नाम दिया है|    जिस प्रकार वास्तुशास्त्र के अनुरूप बने   भवनों में यह उर्जा संतुलित रहती   है उसी प्रकार हमारे शरीर में विद्यमान   उर्जा असंतुलन से व्याधीयां उत्पन्न   होती है| उन्होने कहा कि उनकी संस्था   वैदिक संस्कारद्वारा निर्मित उपकरण   पूर्ण वैज्ञानिक मापदंडो के अनुरूप   शरीर में उत्पन्न उर्जा असंतुलन को   पूर्णतः संतुलित करने में सक्षम है|   इस माध्यम से महाशब्देद्वारा   वास्तुशास्त्र एवं वैदिक चिकित्सा पद्धति   में सामंजस्य स्थापित किया गया|    श्री महाशब्देद्वारा स्पष्ट किया गया कि   एक सही वास्तुशास्त्रज्ञ वही हो   सकता है जो विज्ञान की विभिन्न विधिओं   जैसे समुद्र शास्त्र, भौतिक शास्त्र,   गणित, आर्किटेक्चर एवं ज्योतिष   विज्ञान में पूर्णतः पारंगत हो| कोई भी भवन   अथवा आवास केवल दिशा मात्र के   महत्व को ध्यान में रखकर ही निर्मित नही   किया जाना चाहीए अपितु   वास्तुशास्त्र के आधारपर निर्मित होने वाला भवन ही   शंका ड्ढ आशंकाओं से   रहित होगा| उनके द्वारा यह भी चेताया गया कि   वास्तुशास्त्र के मात्र   किताबी ज्ञान अथवा विषय के आधे अधूरे ज्ञान का भवन   निर्माण के समय् उपयोग   संकट मे डाल सकता है| अतः इस हेतु विशेषज्ञ की सलाह   लिया जाना ही उचित   होगा|    श्री महाशब्दे द्वारा दोषपूर्ण वास्तु के हमारे शरीर पर पडनेवाले   विपरीत   प्रभाव के संबंध में बताया गया| श्री महाशब्देद्वारा अनेक प्रकार   के ऐसे   उपकरणों का भी निर्माण किया गया है जिनके उपयोग से विशिष्ट   परिस्थितीयों   में मानव जिवन पर सदोष वास्तु के विपरीत प्रभाव को समाप्त   अथवा कम किया जा   सकता है|    कार्यक्रम के आयोजन में माधव बेनर्जी एवं   अभय नाईक द्वारा विशेष योगदान   किया गया| इस कार्यक्रम में रेमंड प्रबंधन   एस. के. सिंघल कार्यपालक   निर्देशक, संजय मोईत्रा महाप्रबंधक, हरीश चटर्जी   उपमहाप्रबंधक मुख्य रूप से   उपस्थित हुए| कार्यक्रम के दौरान अनेक लोगों   की वास्तुशास्त्र से संबंधित   जिज्ञासाओं का निराकरण भी श्री   महाशब्देद्वारा किया गया |  अंत में बेनर्जी द्वारा रेमंड प्रबंधन एवं विजय   ग्राम निवासियों की ओर से   श्री महाशब्दे का उनके सारगर्भित व्याख्यान   हेतु आभार व्यक्त किया गया|