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				Navbharat 31 May 1997
                
                जबलपूर   को भूकम्प संवेदी क्यों नहीं माना   गया? स्तुशास्त्र की       दृष्टि से भूकम्प   प्रभावित क्षेत्र का विश्व   में पहली बार अध्ययन :       वास्तु शास्त्रियों की   कार्यशाला आयोजित की   जाये -महाशब्दे
वास्तुविद संजय महाशब्दे  का कहना है कि जबलपूर में आये भूकम्प से हुई     क्षति का आंकलन वास्तु शास्त्रियों की नजर से भी करना चाहिऐ, इसके लिये     देशभर के वास्तु शास्त्रियों को आमंत्रित कर एक कार्यशाला आयोजित करनी     चाहिये जिसमें यह खोजा जाये कि वास्तु शास्त्रीय की सलास पर बने मकानों को     अपेक्षाकृत कम नुकसान पहुँचा है और यदि शहर का पुननिर्माण इसी सलाह पर   किया   जाता है तो उसके सकारात्मक परिणाम किस तरह मिलेंगे. श्री महाशब्दे   के   मुताबिक किसी भूकम्प प्रभावित क्षेत्र का विश्व में पहली बार   वास्तुशास्त्र   को दृष्टिगत रख सर्वेक्षण किया जा रहा है | श्री महाशब्दे   कल यहॉं प्रेस   कॉफ्रेंस को सम्बोधित कर रहे थे, उल्लेखनीय है कि जबलपूर   से सम्पर्क रखने   वाले महाराष्ट्र के वास्तु विशेषज्ञ संजय बी. महाशब्दे   भूकम्प के तत्काल   बाद जबलपूर आयें हैं और वास्तु शास्त्र की दृष्टि से   भूकम्प की क्षति का   आंकलन कर रहे हैं|    उन्होंने पत्रकारों द्वारा पढे   गये प्रश्नों का जवाब देते हुये कहा कि   वास्तु शास्त्र में भूकम्प शब्द   का जिक्र नही है लेकिन ऐसी व्यवस्था है   जिससे प्राकृतिक विपदाओं में कम   क्षति भुगतनी पडती है, अर्थात देवी   प्रकोपों का जोर कम हो जाता है.   उन्होंने बताया कि इन चार दिनों में   उन्होंने एक हजार से अधिक   क्षतिग्रस्त मकानों को वास्तुशास्त्र की नजर से   देखा और उनके फोटोग्राफ   खींचकर वीडियों फिल्म भी बनाई. यह उनका दावा तो   नहीं है लेकिन आंकलन से   यह पता चला है कि वास्तु शास्त्री उपायों को अपनाने   वाले मकानों में   विनाशकारी भूकम्प में सुरक्षा की संभावना बढी हुई पाई गई.   उनके मुताबिक   मनुष्य ने प्रकृति पर जीत उससे मिलकर नहीं लडकर हासिल की है,   दृष्परिणाम   स्वरूप पर्यावरण विनाश की समस्या प्राकृतिक प्रक्रिया के रूप     में सामने   है| वास्तव में जितने कथित एंव आधुनिक उपाय अपनाये जाते हैं|   समस्या   उतनी ही जटिल हो जाती है| इस वजह से अब जरूरी हो गया है कि घर,   बस्ती,   नगर की रचना इस प्रकार की जाये ताकि सुख-शांती महसूस हो सके.   प्राकृतिक   एवं परंपरागत विज्ञान के उपाय अपनाने से समस्या का निराकरण किया   जा सकता   है| वास्तव में वास्तु शास्त्र यही विज्ञान है जिसे अपनाने से   बेहतर   जिंदगी जीना संभव है| श्री महाशब्दे के मुताबिक पृथ्वी को निर्जीव   नहीं   बल्कि सजीव इकाई मानना चाहिये| जिस पर जीवन फल-फूल रहा है| वास्तु   पुरूष,   वास्तु रचना शरीर और ज्योतिष प्रभाव के बची एकात्मका है| यही   एकात्मका   का भाव वास्तु शास्त्र के विकसित विभिन्न आयामों में परिलक्षित   होती है|   सहस्त्रों वर्षो में विकसित इस शास्त्र में अठारह मनीषी मुगु,   अत्रि,   वशिष्ठ, नारद, मय, विश्वकर्मा, नग्नजीव, शिव, इंद्र, ब्रह्मकुमार,     नंदीश्वर, शोणक, गर्ग, वासुदेव, शुक्र एवं बृहस्पति है जिनमें कठोर मेहनत     और अध्ययन के बाद कुछ नियम कायदे स्थापित किये है| उन्हे अपनाना जरुरी   है,   उनके मुताबिक जिस तरह  नीम, हल्दी, गोबर जैसी पूर्णत: भारतीय   संकल्पनाओं का   पेंटेंट आज पाश्चात्य देश करवा रहे हैं| उसी तरह लंदन में   प्रारंभ प्रसाद   विश्वविद्यालय में अब हिन्दुस्तान का यह दिव्य शास्त्र   पढाया जायेगा |   यदि इस विषय में जल्द ही कुछ नहीं किया गया तो वह समय दूर   नहीं जब वास्तु   शास्त्र पर हमें पाश्चात्य विशेषज्ञों की राय लेना   जरूरी हो जायेगा |  उन्होंने अपील की है कि जबलपूर में क्षतिग्रस्त मकानों   का पुननिर्माण मरम्त   वास्तु शास्त्र को मद्देनजर रखकर किया जाये ताकि   उसका लाभ मिल सके| लोगों   को यह समझना चाहिये कि देवी और दानवी शक्तियॉ   वास्तव में वे प्राकृतिक   शाक्तियॉं हैं जो क्रमश: मानव के लिये लाभकारी   और हानिकारी होती हैं|   ऋषियों, मनीषियों ने तपस्या कर लोक कल्याण के लिये   शोधन अनुसंधान पर   पीढियॉं न्यौछावर कर दी और देवभाषा संस्कृत में उस   ज्ञज्ञन को सूत्र रूप   में संजा दिया| वैसा ही एक भारतीय विशिष्ट विज्ञान   वास्तु विज्ञान है|   जिसका उद्देश्य पर्यावरण की दृष्ट शक्तियों से   उत्पन्न होने वाली जैव   रासायनिक क्रिया के प्रभाव से बचने के उपाय मालूम   करना है, संजय महाशब्दे   के मुताबिक उन्होंने वास्तु शास्त्र की दृष्टि से   मकानों की क्षति का आंकलन   किया है और वे चाहते हैं कि कुछ जानकार विपरीत   स्थिति में मकानों की क्षति   का आकलन करे ताकि वास्तु शास्त्र की   उपयोगिता का पता चल सके, उन्होंने कहा   कि इस क्षेत्र में कई बार भूकम्प आ   चुके हैं और विशेषत: बडे भूकम्पों की   चेतावनी भी दे चुके हैं| इसके   बावजूद इसे भूकम्प संवेदी अब तक क्यों नहीं   माना गया? इसका पता लगाना   चाहिये|    आज नि:शुल्क सलाह  वास्तु विशेषज्ञ संजय महाशब्दे ने कहा है कि   क्षतिग्रस्त मकानों के मालिक   अपने नक्शे लेकर उनसे प्रात: १० बजे से   सत्यप्रकाश बिल्डर्स प्रा.लि. के   मदन महल स्थित कार्यालय में सम्पर्क कर   सकते हैं क्षतिग्रस्त मकानों के   फोटोग्राफ, वीडियों फिल्म हेतु भी उनसे   सम्पर्क किया जा सकता है| वे दूरभाष   क्रमांक ४१२८८३ एवं ४२५१६२ पर उपलब्ध   रहेंगे| प्रेस कॉफ्रेंस में बिल्डर   नरेश ग्रोवर, अनिल ग्रोवर, डॉ.   सुरेंद्र सिंह आदि भी मौजूद थे|