विगत दिवस रेमंड विजय ग्राम में वास्तुशास्त्र विशेषज्ञ एवं आर्किटेक्ट इंजीनियर संजय महाशब्दे, रेमंड प्रबंधन के इस आमंत्रण पर अकोला से विजय ग्राम आवासीय परिसर में पधारे| इस अवसर पर महाशब्दे ने दैनिक जीवन में वैदिक चिकित्सा (उर्जा पद्धति) एवं वास्तु शास्त्र के महत्व पर अपना सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किया|
कार्यक्रम के प्रारंभ में पाठक द्वारा वैदिक संस्कार के माध्यम से महाशब्दे द्वारा १९८७ - ८८ में विश्वेश्वरैया रीजनल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग नागपुर से आर्किटेक्ट की स्नातक उपाधी प्राप्त की गई|
फायनल वर्ष में उनके प्रोजेक्ट का विषय स्टडी एंड रिस्टोरेशन ऑफ फोर्ट - रायगढ़ था| रायगढ़ किले की उस सभाकक्ष का सूक्ष्म अध्ययन करने के उपरांत जो लगभग २१० फीट लंबा है एवं जिसके स्टेज से सामान्य आवाज में कहीं गई बातें बिना किसी ध्वनी विस्तारक यंत्र के उपयोग के कक्ष में दूर तक बैठे व्यक्ति को आसानी से सुनाई पडती है|
इसी प्रकार कक्ष में उपस्थित व्यक्तियों के फुसफुसाहट के शब्द भी स्टेज पर बैठे व्यक्ति को स्पष्ट सुनाई देती है| इस कक्ष की प्राचिन एंव उन्नत भारतीय तकनीक जो वास्तुशास्त्र पर आधरित है का गूढ रहस्य समझ मैं आने के उपरांत महाशब्दे के जीवन में एक विशेष मोड आया जिससे उन्हें हमारे प्राचिन विज्ञान को पुनर्जीवित करने के लिये प्रेरित किया| २७ नवंबर की शाम रेमंड आवासीय कॉलोनी विजयग्राम के क्लब हाउस में दर्शकों श्रोताओं ने मंत्रमुग्ध होकर महाशब्दे का व्याख्यान सुना| उन्होने कहा कि प्रत्येक प्राणीमात्र का स्वास्थ वातावरण की शुद्धता पर निर्भर है| उत्तम स्वास्थ के बिना व्यक्ति जीवन से संबद्ध क्रियाकलापों का उपभोग करने में असमर्थ है| स्वास्थ से तत्पर्य पूर्णत्व से है| प्राचीन काल में प्रत्येक व्यक्ति प्राण इस संकल्पना से पूर्णतः परिचित था| विश्व के प्रत्येक सजीव पात्र में विद्यमान चेतना ही प्राण है| विश्व की समस्त प्राचीन सांस्कृतीयों में इस सर्वव्यापी चेतना का उल्लेख परिलक्षीत होता है जो मनुष्य एवं वातावरण में समान रूप से विद्यनान है|
रशियन विशेषज्ञों ने इस शक्ति को बायोप्लाज्मिक एनर्जी कहा वही बॅरन रिचेन्बॅचद्वारा इसे ओडिक फोर्स कहा गया| चेक विशेषज्ञ इस शक्ति को साइकोट्रोनिक एनर्जी कहते है| अमेरिका के डॉ. विल्हेम रिच ने इसे शक्ति को ओगॉन एनर्जी यह नाम दिया है| जिस प्रकार वास्तुशास्त्र के अनुरूप बने भवनों में यह उर्जा संतुलित रहती है उसी प्रकार हमारे शरीर में विद्यमान उर्जा असंतुलन से व्याधीयां उत्पन्न होती है| उन्होने कहा कि उनकी संस्था वैदिक संस्कारद्वारा निर्मित उपकरण पूर्ण वैज्ञानिक मापदंडो के अनुरूप शरीर में उत्पन्न उर्जा असंतुलन को पूर्णतः संतुलित करने में सक्षम है| इस माध्यम से महाशब्देद्वारा वास्तुशास्त्र एवं वैदिक चिकित्सा पद्धति में सामंजस्य स्थापित किया गया| उन्होने स्पष्ट किया कि एक सही वास्तुशास्त्रज्ञ वही हो सकता है कि जो विज्ञान की विभिन्न विधिओं जैसे समुद्र शास्त्र, भौतिक शास्त्र, गणित, आर्किटेक्चर एवं ज्योतिष विज्ञान में पूणत्तः पारंगत हो| कोई भी भवन अथवा आवास केवल दिशा मात्र के महत्व को ध्यान में रखकर ही निर्मित नही किया जाना चाहीये| अपितु शास्त्र के आधारपर निर्मित होने वाला भवन ही शंका ड्ढ आशंकाओं से रहित होगा|
उनके द्वारा यह भी चेताया गया कि वास्तुशास्त्र के मात्र किताबी ज्ञान अथवा विषय के आधे अधूरे ज्ञान का भवन निर्मान के समय् उपयोग संकट मे डाल सकता है| अतः इस हेतु विशेषज्ञ की सलाह लिया जाना ही उचित होगा|
महाशब्दे द्वारा दोषपूर्ण वास्तु के हमारे शरीर पर पडनेवाले विपरीत प्रभाव के संबंध में बताया गया| उनके द्वारा अनेक प्रकार के ऐसे उपकरणों का भी निर्माण किया गया है जिनके उपयोग से विशिष्ट परिस्थितीयों में मानव जिवन पर सदोष वास्तु के विपरीत प्रभाव को समाप्त अथवा कम किया जा सकता है|
व्याख्यान के पश्चात महाशब्दे दूसरे दिन रेमंड फैक्ट्री का अवलोकन करने पहुंचे तथा फैक्ट्री की भव्यता, विभिन्न उत्पादों की गुणवत्ता एवं उनके प्रयुक्त उच्च टेक्नोलॉजी की मुक्तकंठ से प्रशंसा की| कार्यक्रम के आयोजन में माधव बेनर्जी दादा, अभय नाईक द्वारा विशेष योगदान किया गया| उक्त मोईत्रा महाप्रबंधक, हरीश चटर्जी उपमहाप्रबंधक, मुख्य रूप से उपस्थित थे|
रेमंडा फैक्ट्री के अन्य कई पदाधिकारी एवं विजय ग्राम के अधिकांश निवासी भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे| कार्यक्रम के दौरान अनेक लोगों की वास्तुशास्त्र से संबंधित जिज्ञासाओं का निराकरण भी महाशब्दे द्वरा किया गया| अंत में बेनर्जी द्वारा रेमंड प्रबंधन एवं विजय ग्राम निवासियों की ओर से श्री महाशब्दे का उनके सारगर्भित व्याख्यान हेतु आभार व्यक्त किया| महाशब्दे द्वारा वैदिक संस्कार के माध्यम से निर्मित विभिन्न उपकरण जो मानव स्वास्थ हेतु अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रहे है सांसर में भी उपलब्ध है|