वास्तु विज्ञान से प्रगति के प्रभावों की समीक्षा संभव
  लायंसव्याख्यानमेंवास्तुविद्संजयमहाशब्देकाउद्बोधन
                  नांदगांव, प्रतिष्ठित वास्तुविज्ञानी श्री संजय महाशब्दे   का   कहना है   कि विकास बहुआयामी नहीं होता लेकिन सत्य के अनेक आयाम होते है|     लिहाजा   मानव सभ्यता के इतिहास को मात्रा विकास या प्रगति के चश्मे से   देखकर   उसे   समग्रता से समझना संभव नहीं है, यही कारण है कि मिस्र के   पांच हजार   वर्ष   पुराने पिरामिड हमें जो रोचक जानकारियां आज भी दे रहे   हैं वैसी, तमाम     विकास की मंजिलें तय कर लेने के बाद भी देखने - सुनने   में नही आंती.
				  
                  लायंस क्लब ऑफ नांदगांव   द्वारा यहां लायन   सेवा सदन में. प्रदेश के   वन राज्य मंत्री श्री लिखीराम   कावरे के मुख्य   अतिथ्य में आयोजित एक   महती सभा में श्री महाशब्दे ने उक्त   विचार व्यक्त   किये. उन्होने   वास्तुशास्त्र से जुडे कई रोचक प्रसंगो पर   चर्चा की तथा   लोगों के   प्रश्नों के उत्तर दिये. मंत्री महोदय ने आपने   रोचक संबोधन में   वास्तु   संबंधी कई सवाल उठायें लायन अध्यक्ष सुनील बरडिया   ने स्वागत संबोधन     में कार्यक्रम की पृष्ठभूमि बताई उन्होंने कहा कि   वास्तुशास्त्र के प्रति     लोगो के बडते रूझान एंव आर्किटेक्ट संजय महाशब्दे   को इस क्षेत्र में     उपलब्धियों के मददेनजर क्लब ने यह महत्वपूर्ण   कार्यक्रम आयोजित करने का     फैसला किया|इसके पश्चात कार्यक्रम के प्रभारी   प्रो. चन्द्रकुमार जैन   ने   वास्तुविद संजय महाशब्दे का परिचय देते हुए   बताया कि दिल्ली महानगर     वाणिज्यिक एवं औद्योगिक संगठन द्वारा ‘भारत गौरव’   की उपाधि से सम्मानित     श्री महाशब्दे मूलत: अकोला (महाराष्ट्र) के निवासह   है| बी. अर्क, की   डिग्री   लेकर वे वास्तु - सलाहकार के रूप में बम्बई आदि   क्षेत्रों में   वृहत पैमाने   पर अपने कार्य का विस्तार कर रहे हैं| बहरहाल   मॉस्टर ऑफ   आर्किटेक्चर‘ जैसी   प्रतिष्ठित उच्च तकनीकी शिक्षा प्राप्त कर   रहे युवा   वास्तु विज्ञानी   संजयजीने रायगढ के ऐतिहासिक किले पर रिसर्च भी   किया   है| प्रो. जैन ने बताया   कि इस विषय पर श्री महाशब्दे ५० से भी अधिक     व्याख्यान दे चुके है|   नांदगांव सभेत इस अचंल में उनका यह पहला व्याख्यान     है| उनका निवास शिल्प   संस्कार, तापडिया नगर, अकोला मे  है| परिचय के     उपरांत श्री महाशब्दे ने ढाई   सौ से भी अधिक, वास्तु शास्त्र में   परिष्कृत   रूचि रखने वाले, नगर के   प्रतिष्ठित जनों को संबोधित करते हुए   विषय का   खुलासा किया| प्रगति के   आयामों की सीमा बताते हुए पहले   उन्होंने यह   स्थापना की जरूरी नहीं काल   विशेष की वैज्ञानिक प्रगति सबको   रास आये| इसी   तरह उसे पूर्ण भी मान लिया   जाना भी उचित नहीं होगा|
                  उन्होंने कहा कि तीन सौ साल पहले   ग्रामोफोन का   आविष्कार   करनेवाले वैज्ञानिक को उसकी बिरादरी के लोगों   (सायन्स एकेडमी)   नेही शक की   नजर से देखा था और ग्रामोफोन की आवाज को उसकी   कंठ ध्वनि   मानकर, उसकी गरदन   दबाने लगे थे कि कहॉं ये शैतान की मदद से   आवाजें तो   नहीं निकल रहा ? अकादमी   की यह घटना आज भी शास्त्रों मे उपलब्ध   है   क्योंकि एक नये आविष्कार पर   वैज्ञानिकों ने ही संदेह किया था|
                  श्री महाशब्दे ने उक्त उदाहरण देते हुए   कहा कि यही   बात   वास्तुशास्त्र पर भी लागू होती है| इस विषय की पूर्ण   जानकारी न   होने या आधी   - अधूरी समझ व समझ के कारण इसके जानकार भी इसे शक   की नजर   से देखें तो कोई   आश्चर्य नहीं फिर भी मोटे तौर पर यह समझा जा   सकता है   कि ‘वास्तुशास्त्र‘    मूलत: भवन निर्माण के संदर्भ में दिशाओं का   ज्ञान   रखते हुए. उसको संरचना की   बारीकियों पर प्रकाश डालने वाला   मार्गदर्शक   विज्ञान या शास्त्र है|
                  इंजीनिअर महाशब्दे ने आगे कहा कि दिशाओं   को नजर -   अंदाज   करके बनाए गए कई भवनों में अजीब अनुभव होते हैं तथा वहां   बरक्कत   नहीं होती   ऐसा आम देखा जाता है| पिछले ५०-६० वर्षो में इस शास्त्र   के   प्रति सजगता को   भी दुर्लक्ष्य किया जाता रहा| उन्होंने बताया कि अभी     हॉंग-कॉंग स्थित   हिल्टन ग्रुप ऑफ होटल्स के भव्य पांच सिताराम होटल में     जिसके निर्माण का   कार्य बहुत अच्छे हाथों को सौंपा गया था, ठीक व्यापार     नहीं हो पा रहा है |   जबकि उस ग्रुप के अन्य समीपवर्ती होटल ठीक चल रहे     है| श्री महाशब्दे ने कहा   श्रेष्ठ निर्माण भी वास्तुशास्त्र संबंधी चूक     से ऐसा संभव है| रोटरी, भारत   मिलन जैसे कई प्रतिष्ठित संस्थाओं के   सदस्य   श्री महाशब्दे ने आगे बताया कि   किसी भी भवन या संस्थान का अपयश   जिन   कारणों से होता है उनमें   वास्तुशास्त्रो की अनदेखी बडा कारण है |
                  श्री महाशब्दे ने   ‘‘जियोमेगिंन्स’’ सायन्स का   उल्लेख करते   हुए बताया कि युरोप में भवनों के   निर्माताओं से जब पूछा   गया कि उसमें   वास्तुशास्त्र का प्रयोग किया गया   या नही ? तो बनाने   वालों ने कहा कि हम   भवन निर्माण तक ही जिम्मेदार है   बाद के परिणामों के   लिए नहीं| श्री   महाशब्दे ने स्पष्ट  किया कि निर्माण   तकनीक से भी आगे   उनकी अच्छाई - बुराई   का जिम्मेदारी यदि कोई शास्त्र लेता   है तो वह है   वास्तुशास्त्र !
                  श्री संजय ने आगे पेन्डुलम संबंधी एक   प्रयोग के   हवाले से   यह बताया कि ऊर्जाओं के बीच संवाद की स्थिती निर्मिती   होने से   किस प्रकार   भवन उत्कृष्ट कोटि के बनते हैं तथा विसंवाद होने पर   कैसे   वही भवन निम्नस्तर   के हो जाते है|
                  उनका कहना था कि ‘‘बायो फीड बैंक तकनीक’’   द्वारा   लिये गए   सैकडों फोटोग्राफ इस बात का स्पष्ट प्रमाण पेश करते हैं   कि   ऊर्जा क्षेत्र   के आधार पर हर व्यक्ति का एक आभा मंडल होता है जिसका     उसके निवास के साथ   अभिन्न संबंध होता है| भवन तथा व्यक्ति की उर्जा के     बीच संवादी संबंध कैसे   निर्मित हो  इसका दिशा निर्देश वास्तुशास्त्र से     मिल सकता है|
                  मिस्र के पिरामिड तथा शिवाजी महाराज के   दरबार की   विशाल   दर्शक - दीर्घा का जिसमें छह हजार लोग आज भी बिना   माइक्रोफोन के   वक्ता की   आवाज सुन सकते हैं| उल्लेख करते हुए श्री   महाशब्दे ने बताया   कि इन भवनों को   वास्तुकला के आधार पर अति विशिष्ट ढंग   से बनया गया है|   जिसमे माप की तीनों   विभागो लम्बाई, चौडाई, उँचाई के   अतिरिक्त दिशा और   काल का भी विशेष ध्यान   रखा गया है| उन्होने बताया कि   तीन विभागो का   ज्ञान कोई नई बात नहीं पर दिशा   व काल का ज्ञान प्राचीन   होकर भी   उपेक्षित रहा| यही विभाएं (डायमेन्शन्स)   वास्तुविज्ञान की जान   है|
                  श्री महाशब्दे ने कहा कि प्राचीन काल में   बनाई गई   जिन   इमारतों में दिक् (दिशा) एवं काल का ध्यान रखा गया उन्हें   देखकर आज   भी लोग   आश्चर्य करते हैं जबकि ये वास्तुशास्त्र के आधार पर   वास्तुकला   के अनूठे   नमूने मात्र है| इसी तरह १८८० में यूरोप मे बनाई गई     अल्टामिरा की गुफाओं के   पक्के रंगे भी वास्तु शिल्प के रंग समायोजन तथा     रंगों के तरंग दैर्ध्य   (वेब लेन्थ) को वैज्ञानिक संगति का नमूना है जबकि     आज पिकासो द्वारा उभारे   गए रंग और बनाए गये चित्र विकासों के बूढे   होने   से पहले बूढे हो जाते   है| वास्तुशास्त्र की सैद्वांतिक समीक्षा   करने के   बाद श्री महाशब्दे ने   उपस्थित श्रोताओं के प्रश्नों के उत्तर   दिए. जवाब   में उन्होंने बताया कि   वास्तुशास्त्र के आधार पर भवनों में   बिना तोडफोड   के भी कई बार परिवर्तन   किये जा सकते है| आईने आदि के   द्वारा भी मकान को   अधिक उपयोगी व फलदायी   बनाया जा सकता है|
                  उन्होंने बताया कि श्रीलंका और दिल्ली   में भी अब     चिकित्सकीय उपयोग के लिए पिरामिड बनाये जा चुके है जिसमें   वास्तुविज्ञान   का   व्यापक उपयोग किया गया है| एक प्रश्न के उत्तर में   श्री महाशब्दे   ने कहा   कि जरूरी नहीं एक वास्तु शास्त्री के प्रयोग उसके   स्वयं पर खरे   उवरें वैसे   ही जैसे जीवन भर कैंसर का इलाज करने वाला डॉक्टर   की भी   कैंसर से ही मृत्यु   हो जाती है| अत: वास्तु को लेकर ऐसा भ्रम नहीं   होना   चाहिऐ|
                  श्री महाशब्दे एक वास्तुशास्त्री के लिए   वैज्ञानिक   दृष्टि   तथा उसका आर्किटेक्ट होना जरूरी मानते है तभी उसके   परिणाम   ज्यादा प्रभावी   होगे | वास्तुशास्त्र पर उक्त अहम व्याख्यान के   दौरान   सम्मानित अतिथियों   में मंच पर वन राज्य मंत्री श्री लिखीराम कावरे   समेत   उद्योगपति श्री दामोदर   दास भूंदडा, लायन टीकमचंद जैन, लायन डॉ.   पुखराज   बाफना, लायन रीजन चेअर मेन   अशोक कोटडिया या अध्यक्ष सुनील बरडिया,     सेवा सत्पाह प्रभारी लायन सुशील   पसारी, सचिव रघुबीर सिंह भाटिया,     कोषाध्यक्ष प्रकाश सांखला, के साथ ही डॉं.   गंभीर कोटडिया, ज्योतिषाचार्य     सरोज द्विवेदी तथा दिल्ली के समाज सेवी श्री   रमेश भाई उपस्थित थे |
                  कार्यक्रम का प्रभावी संचालन एंव आभार   प्रदर्शन   लायन प्रो.   चन्दकुमार जैन ने किया | उक्त अवसर पर वन राज्य   मंत्री ने   लायन्स द्वारा   आयोजित स्व. सम्पतबाई बरडिया स्मृति झांकी   स्पर्धा का एक   महत्वपूर्ण अवार्ड   नविन आदर्श गणेशोत्सव समिति, गोल बाजार   को प्रदान   किया| वसुंधरा महिला   मंडल की अध्यक्षा रूक्मीणी देवी का भी   सम्मान किया   गया|
                  आर्किटेक्ट श्री संजय महाशब्दे को क्लब   की ओर से   लायन   सुनील बरडिया ने स्मृति चिन्ह भेट किया | प्रो.   चन्द्रकुमार जैन   ने शाल   -श्रीफल भेट कर उनका सम्मान किया | ग्रासिम   सीमेन्ट की ओर से   विमल ट्रेडर्स   के संचालक श्री संजय चोपडाने श्री   महाशब्दे का विशेष   सम्मान किया|   वास्तुशास्त्र की वैज्ञानिक व्याख्या पर   आधारित नगर के   उक्त पहले आयोजन मे   प्रतिष्ठित नागरिकगण सर्वश्री सुरेश   डुलानी, हिम्मत   भाई रायचा, सुरेश   एच.लाल. संतोष अग्रवाल उमेश जोशी, डॉ.   हेमलता मोहबे,   प्राचार्य के. राव,   नरेश बैद, आर्किटेक्ट आर. के. सोनी,   संजय गुप्ता,   संजीव जैन, राजीव अग्रवाल   सहित वास्तुप्रेमी तथा लायंस व   लायनेस सदस्य   बडी संख्या मं उपस्थित